शनि और राहु का एक दूसरे से संबंध-२

शनि और राहु का एक दूसरे से संबंध-२

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लेखक:- डॉ पवन कुमार सुरोलिया सम्पर्क सूत्र-99829567063

शनि-राहु संबंध के बीच मंगल के आने से पूरा परिवार आगजनी या स?क दुर्घटना का शिकार होता है। इस संबंध में शुक्र के आने से परिवार को दहेज उत्पी?न या झूठे मुकदमे झेलने प?ते हैं। इस संबंध में केतू के आने से परिवार को जेल होती है। इसी संबंध में चंद्रमा के आने से पारिवारिक संपत्ति के विवाद होते हैं तथा सूर्य के आने से सरकारी विभागों के छापे प?ते हैं व आर्थिक दंड मिलता है।
शुभ ग्रह के समय में भी मुसीबतें आती है
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के श्रापित दोष अशुभ माना गया है. श्रापित दोष होने पर जीवन में बुरा संकट झेलना पड़ता है. इस दोष का असर करियर, रोजगार, वैवाहिक जीवन और संतान पर पड़ता है. कुंडली में श्रापित दोष कैसे बनता है, जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है और इसे दूर करने के लिए क्या करना चाहिए, इसे जानते हैं.
श्रापित दोष का प्रभाव
कुंडली का श्रापित दोष अशुभ और खतरनाक माना जाता है. इस दोष के अशुभ प्रभाव से करियर की तरक्की में कई प्रकार की बाधाएं आती हैं. साथ ही शादीशुदा जिंदगी में पर्टनर के साथ बात बात पर नोकझोंक होती रहती है. अगर बिजनेस में नुकसान हो रहा है तो इसका एक कारण श्रापित दोष हो सकता है. इसके अलावा पारिवारिक क्लेश का कारण भी श्रापित दोष हो सकता है.
कैसे बनता है श्रापित दोष
कुंडली के किसी भाव में शनि-राहु के संयोग से श्रापित दोष बनता है. इस दोष के प्रभाव से इंसान की जिंदगी में बहुत प्रकार की मुश्किलें आती हैं. पिछले जन्म के बुरे कर्मों के कारण यह दोष बनता है. ऐसे में अगर इस दोष से छुटकारा पाने के लिए कोई उपाय नहीं किए जाते हैं तो यह पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रहता है. ज्योतिष शोध के अनुसार कई बार ऐसा भी होता है किसी शुभ या योगकारी ग्रह की दशा काल हो और राहू, शनि युति रूपी प्रेत श्राप योग की दृष्टि का दुष्प्रभाव उस ग्रह पर हो जाए तो उस शुभ ग्रह के समय में भी मुसीबतें आती हैं जिस पर अधिकतर ज्योतिष गण ध्यान नहीं दे पाते पूर्व जन्म के दोषों में इसे शनि ग्रह से निर्मित पितृ दोष कहा जाता है इस दोष का निवारण भी घर में सन्तान के जन्म लेते ही ब्राह्मण की सहायता से करवा लेना चाहिए अन्यथा मकान सम्बन्धी परेशानियाँ शुरू हो जाती है , प्रापर्टी बिकनी शुरू हो जाती है। कारखाने बंद हो जाते हैं। पिता पर कर्जा चढ़ना शुरू हो जाता है। नौकरी पेशा हो कारोबारी संतान के प्रेत श्राप योग के कारण पिता का काम बंद होने के कगार पर पहुंच जाता है। ऐसे योग वाले के घर में निशानी होती है की जगह-जगह दरारें प?ना। सफाई के बावजूद भी गंदी बदबू आते रहना। घर में से जहरीले जीव जन्तु निलकना बिच्छू – सांप आदि। पितरों का शनि-राहु-केतु से क्या संबंध?
जरूर करें ये 5 उपाय
पितरों का सम्बन्ध हमारे जन्मों से, संस्कारों से और भावनाओं से होता है. शनि का सम्बन्ध हमारे पूर्व जन्म के कर्मों और हमारे पितरों की स्थिति से होता है. राहु का सम्बन्ध हमारे दायित्व और ऋणों से होता है. केतु का सम्बन्ध हमारे पितरों और उनके मुक्ति मोक्ष से होता है. इस प्रकार शनि राहु और केतु से हम अपने दायित्व और अपने पितरों की स्थिति जान सकते हैंा शनि या सूर्य का सम्बन्ध राहु से हो तो पितरों का दायित्व बाकी रहता है

  • उनकी तृप्ति या मुक्ति नहीं हो पाती ,इस दशा को पितृ दोष कहा जाता है राहु शनि की युति होने पर ऐसे फल मिलते हैंयदि लग्न में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक क्रियाओं का अधिक प्रभाव रहता है। व्यक्ति हमेशा चिंतित रहता है। नकारात्मक विचार आते हैं। कोई न कोई रोग निरंतर बना रहता है। द्वितीय भाव में शनि व राहु की युति हो तो व्यक्ति के घर वाले उसके शत्रु रहते हैं। हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। तृतीय भाव में शनि व राहु की युति होने पर व्यक्ति भ्रमित रहता है। संतान सुख नहीं प्राप्त होता है। शनि राहु के एक साथ होने पर जीवन उथल-पुथल से भरा होता है चतुर्थ भाव में शनि व राहु की युति होने पर माता का पूर्ण सुख नहीं मिल पाता है। आर्थिक नुकसान होता है। पंचम भाव में युति हो तो ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा कठिन स्थिति में पूर्ण होती है। षष्ठ भाव में युति हो तो ऐसे व्यक्ति के शत्रु अधिक होते हैं। सप्तम भाव में युति हो तो व्यक्ति को मित्रों व साझेदारों से धोखा मिलता है। अष्टम भाव में युति हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह की स्थितियाँ बनी रहती हैं।
    नवम भाव में युति हो तो ऐसे व्यक्ति के भाग्य में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। दशम भाव में युति हो तो कारोबार में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। एकादश भाव में युति हो तो जुए, सट्टे द्वारा धन की प्राप्ति होती है। द्वादश भाव में युति हो तो व्यक्ति के अनैतिक संबंध बनने की अधिक संभावना रहती है। उनके घर में जगह-जगह दरारें दिखाई देती हैं। साफ-सफाई के बावजूद सफाई दिखाई नहीं देती है।7. इस योग के प्रभाव से घर में सांप-बिच्छू भी निकलते रहते हैं।8. सप्तम भाव ये योग बनने पर व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा रहता है।9.अष्टम भाव में ये योग बन रहा हो तो व्यक्ति पर नकारात्मक शक्तियां हावी हो सकती है।10. नवम भाव में शनि-राहु का ये योग हो तो व्यक्ति भाग्य का साथ प्राप्त नहीं कर पाता है।11. यदि ये योग कुंडली के दशम भाव में बन रहा है तो चलता हुआ व्यापार बंद हो सकता है।12. एकादश भाव में ये योग बन रहा हो तो लगातार आने वाली मुसीबतों से इंसान हार जाता है।ज्योतिष शास्त्र में शनि और राहु को बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. शनि को कर्मफलदाता कहा गया है. यनि शनि एक ऐसा ग्रह है जो मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करता है. इसीलिए इसे कर्मफलदाता, दंडाधिकारी भी कहा जाता है.जातक के जीवन में कई दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. दरअसल, शनि को न्याय का ग्रह भी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि यह बुरे के साथ बुरा और अच्छे के साथ अच्छा करते हैं. वहीं राहु के बारे में ऐसा माना जाता है कि ये जीवन में अचानक होने वाली घटना का कारक है.
    शनि की प्रिय राशियां
    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. वहीं तुला राशि में शनि उच्च के माने गए हैं जबकि मेष राशि शनि की नीच राशि है. तुला, मकर और कुंभ राशि शनि की प्रिय राशियां मानी गई हैं. यहा पर बैठे शनि अशुभ फल प्रदान नहीं करते हैंज्योतिषशास्त्र में शनि को न्याय का देवता बताया गया है। जो लोग अच्छे काम करते है, शनिदेव उनका अच्छा करते हैं और जो बुरा करते हैं, उन्हें सजा भी देते हैं। कुंडली में शनि देव का सही स्थान पर होना जरूरी है। अन्य ग्रहों की तरह शनि देव भी समय-समय पर स्थान बदलते रहते हैं जिन लोगों की कुंडली में शनि और राहु एक ही स्थान पर होते हैं, उनके लिए वह समय बहुत बुरा होता है। बीमारियों के साथ ही आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी तरह शनि के साथ चंद्रमा की युति विषयोग बनाती है। जिन लोगों की कुंडली में ऐसा होता है, वे मानसिक तनाव का शिकार होते हैं। सूर्य तथा शनि का योग भी शुभ नहीं माना जाता है। जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसे मेहनत का फल नहीं मिलता।राहु ग्रह का स्वामी कौन है?
    राहु को किसी भी राशि का स्वामी नहीं माना गया है, लेकिन माना जाता है कि मिथुन राशि में राहु उच्च का हो जाता है. इसके साथ ही जब राहु धनु राशि में आता है तो ये नीच का माना जाता है. राहु को आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्र का स्वामी माना गया है.
    इन उपायों को करने से लाभ की प्राप्ति होगीशनि स्तोत्र का पाठ करें और अमावस्या के दिन जब सूर्य ढल रहा हो उस समय बहते पानी में नारियल प्रवाहित करें
    शनि व राहु के हवनात्मक जप करें
    दुर्गा सप्तशती का विधि पूर्वक पाठ व दशांश करें
    संकटमोचन हनुमाष्टक व सुंदरकांड का पाठ नितदिन करेंकाला धतूरा घर के समीप लगा ले रोजाना शिवलिंग पर उसके फूल फल च?ाए तो इस युक्ति के नेगेटिव फल लगभग निर्मूल ही माने। चुकी काला धतूरा शनिदेव के अंतर्गत आता है। नशीला होने के कारण राहु विद्यमान है। नेगेटिव ऊर्जा व तन्त्र का असर कम होता हशनि के बिग?ने से घर में जीवन कलहपूर्ण बन जाता है। भाइयों में झग?े और विवाद के कारण बंटवारे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और संयुक्त व्यापार तथा परिवार खंडित हो जाता है। इससे सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूमिल होती है। परिवार का संचित धन सदस्यों के स्वास्थ्य पर भी खर्च हो जाता है। एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों के सा?ेसाती या महादशा या अंतरदशा से प्रभावित होने की स्थिति में उन पर समान रूप से दुष्प्रभाव प?ते हैं। शनि सा?ेसाती, ढैया, महा दशा या अंतर दशा में अनिष्ट या प्रतिकूल प्रभाव व अनिष्ट प्रभाव को दूर करने के लिए बिना गुण का बैंगन बहुत कारगर सिद्ध होता है। कई शास्त्रों में बैंगन को बिना गुण के बताया है परंतु वैज्ञानिक आधार पर इसमें सर्वाधिक मात्रा में लोहा पाया जाता है। इसी कारण बैंगन पर शनि व राहु दोनों आधिपत्य रखते हैं। बैंगन के छोटे-छोटे उपायों से कुछ हद तक समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। आइए जानते हैं बैंगन कैसे दे सकता है शनि बाधा से मुक्ति।
    सफाई कर्मचारी को बैंगन दान करने से जेल जाने के योग निर्बल होते हैं।
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मेहनतकश मजदूरों को बैंगन दान देने से मंद प?ा हुआ व्यवसाय दौ? प?ता है।

अमावस्या के दिन जानवरों को बैंगन खिलाने से पारिवारिक शांति बनी रहती है।

शनिवार को काली गाय को बैंगन खिलाने से परिवार के शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।

मंगलवार के दिन बंदरों को बैंगन खिलाने से झूठे मुकदमों से राहत मिल सकती है।

शनिवार के दिन भैंस को बैंगन खिलाने से पारिवारिक दुर्घटना या आगजनी से बचा जा सकता है।

श्राद्धपक्ष, अमावस्या, शनिवार, द्वितीया, प्रदोष तिथि और कार्तिक महीने में कभी भी बैंगन नहीं खाना चाहिए।

शनैश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से उनके कारण पड़ने वाले बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

श्रापित दोष के उपाय

शनि-राहु श्रापित दोष से छुटकारा पाने के लिए पूजा करें. इसके लिए रोद सुबह स्नाान के बाद 108 बार शनि और राहु के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके अलावा नियमित दूध में जल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. साथ ही काला दाल चढ़ाने से शनि और राहु के दोष खत्म होते हैं. गाय और मछलियों को शुद्ध घी से बने चावल खिलाना शुभ होता है. खासतौर पर शनिवार के दिन भगवान शिव, हनुमानजी और श्रीराम की पूजा करना साबित होता है.
-शनि बीज मंत्र- ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
-राहु बीज मंत्र- ओम् भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: कैसे करें पितरों और शनि की शांति?-

  • पितृपक्ष में पीपल के वृक्ष में तिल मिला हुआ जल अर्पित करें
  • निर्धनों को भोजन कराएं और भोजन में उरद की दाल की बनी हुई वस्तुएं जरूर हों
  • जितना संभव हो पे? पौधे लगाएं
  • नित्य दोपहर “? सर्व पितृ प्रसन्नो भव ?” का 108 बार जप करें
  • पूरे माह में सात्विक रहें
    पितरों का शनि-राहु-केतु से क्या संबंध? जरूर करें ये 5 उपाय
    राहु-केतु के निवारण के लिए क्या उपाय करें?-
  • पितृ पक्ष में किसी भी दिन दोपहर के समय ये प्रयोग करें.
  • स?ेद वस्त्र धारण करें, हाथ में कच्चा सूत, सफेद मिठाई ले लें और सफेद वस्त्र धारण करें.
  • अब मिठाई हाथ में ले लें, और कच्चे सूत को पीपल की परिक्रमा करते हुये सात बार लपेटें.
    पितरों का शनि-राहु-केतु से क्या संबंध? जरूर करें ये 5 उपाय
    े उपाय भी करें-
  • सूत लपेटते हुए कहते जाएं कि आपके ऊपर पितरों की कृपा हो और आपके राहु केतु शांत हों
  • परिक्रमा के बाद मिठाई को पीपल की जड़ में डाल दें, और वहां जल अर्पित करें आपके राहु केतु शांत हो जाएंगे.

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