गुदा भ्रंश रोग

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     RECTAL PROLAPSE DISEASE

गुदा भ्रंश रोग-
गुदा भ्रंश रोग अधिकांशत: बच्चों में होनेवाला रोग है;किन्तु यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में होनेवाला रोग है।इस बीमारी में कब्ज,अर्श,अतिसार ,कृमि,कुकुरखांसी,दमा,बहुप्रसव आदि दशाओं में उदर के भीतर दाब जाने के कारण इस बीमारी की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है।मल त्याग के समय गुदा और आमाशय की सारी नलिका तक गुदा द्वार के बाहर आ जाती है।कब्ज से पी?ित व्यक्ति जब जोर लगाता है तो मल के साथ-साथ गुदा की त्वचा भी बाहर निकल जाती है।इसे गुदा भ्रंश या कांच निकलना भी कहा जाता है।
लक्षण –
मल द्वार में खुजली होना,कब्ज होना,पेट में कृमि होना आदि गुदा भ्रंश रोग के मुख्य लक्षण हैं।कारण अधिक दस्त होना,शारीरिक रुप से कमजोर होना,कब्ज होना,कुकरखांसी होना आदि गुदा भ्रंश रोग के प्रमुख कारण हैं।


उपचार-
(1) एरंडी का तेल आधा चम्मच हलके गुनगुने दूध में मिलाकर प्रतिदिन रात को सोते समय पीने से गुदा भ्रंश या कांच निकलना बंद हो जाता है।
(2) आंवले का मुरब्बा बनाकर दूध के साथ खाने से कब्ज समाप्त हो जाती है और गुदा भ्रंश रोग नष्ट हो जाता है।
(3) काली मिर्च 10 ग्राम और भुना हुआ जीरा 20 ग्राम दोनों को मिलाकर चूर्ण बनाकर एक चम्मच की मात्रा प्रतिदिन छाछ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गुदा भ्रंश की बीमारी दूर हो जाती है।
(4) अनार के छिलके 5 ग्राम,माजूफल 5 ग्राम और हब्ब अलायस 5 ग्राम सबको मिलाकर कूट लें और 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबालें।जब एक चौथाई पानी रह जाय तो उसे छानकर गुदा को धोने से गुदा भ्रंश या कांच का निकलना बंद हो जाता है।
(5) 100 ग्राम अनार के पत्तों को एक लीटर जल में उबालें और छानकर दिन में तीन बार गुदा को धोने से गुदाभ्रंश या कांच का निकलना बंद हो जाता है।

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