लेखक-वैद्य पवन कुमार सुरोलिया बी.ए.एम.एस [आयुर्वेदाचार्य ]संपर्क सूत्र -9829567063
क्रान्ति शेर -विष्णु गणेश पिंगल
(2 जन्म जनवरी 1888-फांसी -17 नवंबर 1915)
विष्णु गणेश पिंगले (2 जन्म जनवरी 1888-फांसी -17 नवंबर 1915) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। वे गदर पार्टी के सदस्य थे। लाहौर षडयंत्र केस और हिन्दू-जर्मन षडयंत्र में उनको सन् 1915 फांसी की सजा दी गयी।विष्णु का जन्म 2 जनवरी 1888 को पूना के गांव तलेगांव में हुआ। सन 1911 में वह इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने अमेरिका पहुंचे जहां उन्होंने सिटेल विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग कालेज में प्रवेश लिया। वहां लाला हरदयाल जैसे नेताओं का उन्हें मार्गदर्शन मिला। महान क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा से उनकी मित्रता थी। देश में गदर पैदा करके देश को स्वतंत्र करवाने का सुनहरी मौका देखकर विष्णु गणेश बाकी साथियों के साथ भारत लौटे और ब्रिटिश इंडिया की फौजों में क्रांति लाने की तैयारी में जुट गये। उन्होंने कलकत्ता में श्री रास बिहारी बोस से मुलाकात की। वह शचीन्द्रनाथ सांयाल को लेकर पंजाब चले आए। उस समय पंजाब, बंगाल और उतर प्रदेश में सैनिक क्रांति का पूरा प्रबंध हो गया था किन्तु एक गद्दार की गद्दारी के कारण सारी योजना विफल हो गई। विष्णु पिंगले को नादिर खान नामक एक व्यक्ति ने गिरफ्तार करवा दिया। गिरफ्तारी के समय उनके पास दस बम थे। उन पर मुकदमा चलाया गया और 17 नवंबर 1915 को सेंट्रल जेल लाहौर में उन्हें फांसी दे दी गयी। उस समय विष्णु मात्र 26 वर्ष के थे इसके बाद से 1955 तक सरकार ने उनके परिवार को ब्लैक लिस्ट कर दिया। देश आजाद होने के बावजूद वे गुलामों की तरह अपना जीवन बिता रहे थे। हर समय उनकी गतिविधियों पर पुलिस नजर रखती थी। 1914 में अंग्रेजी हुकूमत ने विष्णु जी की प्रापर्टी नीलाम कर दी। नीलामी में मिले 5000 रुपए भी उन्हें नहीं दिए गए। उनसे जमीन भी छीन ली गई और पैसे भी नहीं दिए। आज तक वह जमीन हमें नहीं मिल पाई है। कई बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को पत्र भी लिखा लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका।