लेखक-वैद्य पवन कुमार सुरोलिया बी.ए.एम.एस [आयुर्वेदाचार्य ]संपर्क सूत्र -9829567063
-[4 ]
सामान्य लक्षण –
गात्र प्रदेशे कवचिदेव दोषा: संमूर्छिता मांसमभिप्रदूष्य!
वृतं स्थिरं मंदरुजम महानतम अनल्पमूलं चिरवृद्यपाकम !!
कुर्वन्ति मांसोच्छ्रयमत्यगाधम तदर्बुदम शास्त्रविदो वदन्ति !!![सु.नि.]
1-शरीर में किसी भी भाग में शोथवत उभार
2-वह गोल होता है
3-अर्बुद स्थिर होता है
4-अर्बुद में वेदना कम होती है
5-गूढ़मूल होता है और अपाकी होता है
6-जिसकी वृद्धि धीरे धीरे होती है
वातिक अर्बुद के लक्षण –
1- तोद
2-मंथनवत पीड़ा
3-आघात की तरह या फेकने की तरह पीड़ा
4-अमृदु
5-भेद
6-खीचने की तरह वेदना
7-कृष्ण वर्ण का
8-वक्तिसदृश तथा भेदन करने से स्वच्छरक्त का स्राव
पितज अर्बुद के लक्षण –
1-अर्बुद में बहुत दाह प्रतीति होती है
2-अर्बुद के अन्दर बहुत ऊष्मा की प्रतीति होती है
3-ऐसा लगता है जैसे की अर्बुद अन्दर से जल रहा हो
4-रक्त व पित्त वर्ण का
5-भेदन करने पर अत्यंत उष्ण रक्त स्राव
कफज अर्बुद के लक्षण –
1-स्पर्श में शीत होता है
2-वर्ण में कोई विकृति नहीं होती
3-वेदना कम ,कंडू अधिक
4-पत्थर की तरह कठिन व बड़े आकार का
5-लम्बे समय तक बढ़ता रहता है
6-भेदन करने पर पूय सदृश कठिन घन स्राव
रक्तज अर्बुद के लक्षण-
1-कठिन घन स्राव
2-मांसान्कुरो से युक्त
3-शीघ्र बढ़ जाता है
4-पांडू उपद्रवरूपेण उपस्थित होता है
मांसज अर्बुद के लक्षण-
1-वेदना हो भी सकती है नहीं भी
2-वर्ण में परिवर्तित नहीं
3-शरीर त्वकवत वर्ण
4-स्निग्ध तथा अपाकी
5-पत्थर के समान कठिन व स्थिर शोथ
मेदोज अर्बुद के लक्षण-
1-इसकी वृद्धि शरीर की धातुवो की वृद्धि पर निर्भर करती है धातुवो की वृद्धि होती है तो इसकी भी वृद्धि होती है और धातुवो का क्षय होता है तो इसका भी क्षय होता है
2-स्निग्ध ,बड़ा ,अल्प वेदना युक्त
3-कंडू अधिक होती है भेदन करने पर तिलकल्क या घृत के समान स्राव
अर्बुद में पाक न होने का कारण-
1-मेद और कफ की अधिकता [रक्त और पित्त की नहीं ]
2-दोष स्थिर हो जाते है
3-मांस में दोष गुम्फित हो जाते है
4-मेद के स्वभाव से पाक नहीं होता है
अध्यर्बुद -पूर्व उत्पन हुए अर्बुद पर दूसरा अर्बुद हो जाय तो अध्यर्बुद कहलाता है
द्विअर्बुद-जो एक साथ या क्रम से दो अर्बुद हो जाय तो उसे द्विअर्बुद कहलाता है
साध्यासाध्यता-मांसार्बुद को असाध्य माना गया है अन्य साध्य अर्बुदो में से यदि स्राव निकालता हो या वह चर्म से उत्पन हुवा हो तो वह साध्य होता है शेष साध्य होते है