श्रेष्ठ आर्य- बलराज

श्रेष्ठ आर्य- बलराज

लेखक-वैद्य पवन कुमार सुरोलिया बी.ए.एम.एस [आयुर्वेदाचार्य ]संपर्क सूत्र -9829567063

श्रेष्ठ आर्य- बलराज
बलराज का पारिवार आर्य समाजी था बलराज पर आर्य समाज का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था आर्य समाज और प्रखर राष्ट्रवाद एक दूसरे के पर्याय है अत: देश भक्ति की बलराज में लहरे उठना स्वाभाविक है बलराज सजा काटने और देश आजाद होने के बाद भी जिन्दा रहे बलराज मधोक की पुस्तक में इनका उल्लेख मिलता है की इन्होने गुप्त रूप से भारतीय जनसंघ निर्माण में मदद की जो बाद में जनसंघ भारतीय जनता पार्टी बना परन्तु यह बात भारतीय जनता पार्टी के कार्य करता तो दूर भारतीय जनता पार्टी के बड़े बड़े नेता भी यह तथ्य नहीं जानते होंगे खेदास्पदम परमम्
महात्मा हंसराज उनके बड़े बेटे का नाम बलराज था जिन्हें अंग्रेजों ने देशद्रोह के आरोप में सात वर्ष जेल में बन्द रखा। आर्यसमाज के दिल्ली षड्यन्त्र में भाग लेने वालों में भाई बालमुकुन्द तथा महात्मा हंसराज के पुत्र बलराज दोनों ही आर्यसमाजी थे। बलराज के पिता लाला हंसराज (महात्मा हंसराज) (19 अप्रैल, 1864 – 15 नवम्बर, 1938) अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता एवं शिक्षाविद थे। उनके छोटे भाईे का नाम जोधराज था। लार्ड हार्डिग पर किसी ने बम फेंका लाहौर के दीनानाथ की तलाशी हुयी। उसने मुखबिरी की और पुलिस के सामने पंजाब गदर आंदोलन की सारी घटनायें उगल दीं। उसने यह भी बताया कि सन् 1908 में लाला हरदयाल बाहर जाते समय दिल्ली के मास्टर अमीरचंद को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर गये थे और मुझे लाहौर में नायक का दर्जा आगे चलकर उन्होंने अपनी गुप्त सोसाइटी में हंसराज के बेटे बलराज और भाई परमानन्द के चचेरे भाई बालमुकुन्द को भी समेट लिया। सरकार को विश्वास हो गया कि रासबिहारी बोस और बसंत कुमार ने इन्हीं लोगों की सहायता से लार्ड हार्डिग पर बम फेंका था। मुकदमा कानूनी तौर पर साबित भले ही न हुआ हो किंतु मास्टर अमीरचंद्र और उनके साथी अवधबिहारी, बालमुकुंद और बसंत कुमार को फांसी की सजा सुना दी गयी। इनमें केवल बलराज ही ऐसा था- जिसने सात वर्ष की कडी कैद पायी थी।

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