लेखक-वैद्य पवन कुमार सुरोलिया बी.ए.एम.एस [आयुर्वेदाचार्य ]संपर्क सूत्र -9829567063
युवा क्रांतिकारी : बसंत कुमार बिस्वास
[जन्म 6-फ़रवरी-1895 बलिदान दिवस-11-मई-९-मई-1915]
युवा क्रांतिकारी व देशप्रेमी श्री बसंत कुमार बिस्वास अमरेन्द्र चटर्जी के एक शिष्य बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी संगठन ” युगांतर ” के सदस्य थे ! उन्होंने अपनी जान पर खेल कर वायसराय लोर्ड होर्डिंग पर बम फेंका था और इस के फलस्वरूप उन्होंने 20 वर्ष की अल्पायु में ही देश पर अपनी जान न्योछावर कर दी ! इनका जन्म 6 -फ़रवरी-1895 को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के पोरागाच्चा (क्कशह्म्ड्डद्दड्डष्द्धद्धड्ड,) नामक स्थान पर हुआ था ! वायसराय लोर्ड होर्डिंग की हत्या की योजना चंदननगरकी एक गुप्त बैठकमें रास बिहारी बोसके साहसी मित्र श्रीष घोषने हार्डिंगपर आक्रमणका सुझाव दिया । किंतु कुछ सदस्योंको वह अव्यावहारिक लगा । रासबिहारी बोले कि वे एकदम तैयार तथा दृढ थे, किंतु उन्होंने दो शर्तें रखीं- एक तो उन्हें शक्तिशाली बम दिए जाएं तथा दूसरा यह कि क्रांतिकारी विचारोंका एक दृढ युवक उनके साथ दिया जाए । उनकी दोनों बाते मानी गई तथा पहला अभ्यास 1911 की दिवालीपर किया गया, जब चारों ओरसे पटाखोंकी आवाजें आ रही थी । बमविस्फोटसे रास बिहारीको संतोष हुआ । किंतु उन्हें एक साल और रुकना पडा, जिसका उपयोग उन्होंने 23 दिसंबरकी बडी घटनाका अभ्यास करके किया । क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने बनायीं थी और बम फेंकने वालों में बसंत बिस्वास और मन्मथ बिस्वास प्रमुख थे ! वह युवक चंदननगरका बसंत बिस्वास नामका 16 सालका एक सुंदर लडका था । वह आरामसे लडकीकी पोशाक पहनकर लडकियोंमें सम्मिलित होकर चांदनी चौकके एक भवनकी छतपर बैठा करता था । सारे बडी उत्सुकतासे वाईसरायके जुलूसकी राह देख रहे थे । बसंतको लक्ष्यपर बम फेंकने थे । उसने राजा टैगोरके देहरादून स्थित बागीचेमें कई माहतक इसका अभ्यास किया था । रास बिहारी वहां ‘फॉरेस्ट रिसर्च इस्टीट्यूटÓ में कार्य कर रहे थे, तथा बसंत उनका नौकर बनकर रह रहा था । सिगरेटके बक्सेमें पत्थरके टुकडे भरकर, हार्डिंगकी ऊंचाईकी लम्बाईकी कल्पना कर उसपर फेंके जाते थे । एक दिन पूर्व रास बिहारी अपनी सखी को बग्घीमें बिठाकर चांदनी चौककी सैर करा लाए, जो दूसरे दिनके लिए निश्चित किया गया स्थान था बसंत बिस्वास ने महिला का वेश धारण किया और 23 -दिसंबर-1912 को ,जब कलकत्ता से दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय वायसराय लोर्ड होर्डिंग समारोहपूर्वक दिल्ली में प्रवेश कर रहा था महिलाएं बडी उत्सुकतासे जुलूसके आनेका इंतजार कर रही थी । बसंत (जो लडकी बना हुआ था) उनमेंसे एक था । पंजाब नैशनल बैंकके निकट चांदनी चौकमें ‘क्लॉक टॉवरÓ मुख्य कार्यवाही हेतु चुना गया । हाथीके एकदम सामने आते ही बम फेंकना था । रास बिहारी आस-पास ही कहीं रुकनेवाले थे तथा अवध बिहारी ठीक सामने रुकेगा जो बसंतके असफल होनेपर बम फेकेगा । वातावरणमें जैसे बिजली कौंध गई जब रास बिहारीके ध्यानमें आया कि देहरादूनमें सिगरेटके डिब्बेमें बम फेंकनेका अभ्यास यहां काम नहीं आएगा । यहां जमीनसे हाथीपर बैठे लक्ष्यकी ऊंचाईकी कल्पना कर अपना काम करना था । वे झटसे अंदर आए, तथा बसंतको स्नानकक्षमें जाकर साडी हटाकर उनके पासके लडकेकी पोशाक पहननेको कहा । कुछ समय पश्चात एक खूबसूरत लडकीके स्थानपर एक सुंदर लडका बाहर आया । आसपास चल रहे उत्तेजनापूर्ण वातावरणमें तथा शोरगुलमें बंगालके एक लडके का लिंगबदल किसीके ध्यानमें नहीं आया । वह नीचे आया और भीडमें मिल गया । किंतु बम उन्होंने नहीं अपितु अवध बिहारीने फेंके । इस बात का अभी भी पता नहीं लग पाया की बम किसने फेका तब चांदनी चोक में उसके जुलूस पर बम फेंका, पर वह बच गया ! इस कांड में 26 -फ़रवरी-1912 को ही बसंत को पुलिस ने पकड़ लिया ! बसंत सहित अन्य क्रांतिकारियों पर 23 -मई-1914 को “दिल्ली षड्यंत्र केस” या “दिल्ली-लाहोर षड्यंत्र केस” चलाया गया ! बसंत को आजीवन कारावास की सजा हुई किन्तु दुष्ट अंग्रेज सरकार तो उन्हें फांसी देना चाहता था इसीलिए उसने लाहोर हाईकोर्ट में अपील की और अंतत बसंत बिस्वास को बाल मुकुंद, अवध बिहारी व मास्टर अमीर चंद के साथ फांसी की सजा दी गयी ! जबकि रासबिहारी बोस गिरफ़्तारी से बचते हुए जापान पहुँच गए !11 -मई-1915 को पंजाब की अम्बाला सेंट्रल जेल में इस युवा स्वतंत्रता सेनानी को मात्र 20 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गयी ! स्वतंत्रता संग्राम के दोरान अत्यधिक छोटी उम्र में शहीद होने वालों में से बसंत बिस्वास भी एक हैं ! शहीद श्री बसंत कुमार बिस्वास की याद में 4 स्मारक पट्टिकाएं निम्न स्थानों पर लगायी गयी हैं ->1) मुरगाच्चा स्कूल, नादिया (रूह्वह्म्ड्डद्दड्डष्द्धद्धड्ड स्ष्द्धशशद्य) 2) रबीन्द्र भवन ओडिटोरियम , कृष्ण नगर ( क्रड्डड्ढद्बठ्ठस्रह्म्ड्ड क्चद्धड्ड1ड्डठ्ठ ड्डह्वस्रद्बह्लशह्म्द्बह्वद्व ड्डह्ल ्यह्म्द्बह्यद्धठ्ठड्डठ्ठड्डद्दड्डह्म्) 3) मेडम तेत्सुकोंग हिओची गार्डन , टोक्यो (ञ्जद्गह्लह्यह्व-ष्शठ्ठद्द-॥द्बशष्द्धद्ब’ह्य द्दड्डह्म्स्रद्गठ्ठ द्बठ्ठ ह्लशद्म4श) 4) सुवेंदु मेमोरियल ट्रस्ट , गोब्रापोता , नादिया (स्ह्व1द्गठ्ठस्रह्व रूद्गद्वशह्म्द्बड्डद्य ञ्जह्म्ह्वह्यह्ल , त्रशड्ढह्म्ड्डश्चशह्लड्ड, हृड्डस्रद्बड्ड)कितने दुख की बात है इतने बड़े क्रांतिकारी के नाम पर सिर्फ पट्टिया होना तो चाहिए बड़ी बड़ी परियोजनाए इतने बड़े क्रांतिकारीयो के नाम पर परन्तु बड़ी बड़ी परियोजनाए तो ऐरे गेरे नाथू गेरे के नाम पर यानि गधे गुलकंद खा रहे है और घोड़ो को घास नहीं खेदास्पदम परमं