लेखक-वैद्य पवन कुमार सुरोलिया बी.ए.एम.एस [आयुर्वेदाचार्य ]संपर्क सूत्र -9829567063
शिर का कैंसर
[यह लेख अभी प्रारंभिक अवस्था में है अभी इसमे कई महत्वपूर्ण संशोधन होने है ]
शिर में 18 रोग होते है इसमे खोपरी का विद्रधि नाम का रोग होता है जिसकी गणना कैंसर में करनी चाहिए –
यथा दोषोदयम ब्रूयात पिटिकार्बुदविर्द्धीन [अष्टांग]
जिस दोष को लेकर विद्रधि होती है वह रोग उसी दोष का है ऐसा समझाने के लिए महर्षि वाग्भट्ट ने उपदेश दिया है यह विद्रधि चीटियों के दल जैसी आकृति वाला खोपरी में चिपका हुवा छोटा दारूण कैंसर है इस कैंसर से रोगी का स्मृति भ्रश हो सकता है आगे चलकर हाथ पैर के कार्य में बाधा आने लगती है वेदना तीव्र होती है नींद नहीं आती धीरे धीरे रोगी कमजोर हो जाता है और शरीर फीका पड़ जाता है भूख बिलकुल बंद हो जाती है साथ में जब बुखार मिल जाता है तब रोगी की अवस्था असाध्य की और होती जाती है यह विद्रधि [कैंसर]शुरू में कच्चा मिट सकता है और पाक जाने से असाध्य हो जाता है इस कैंसर के लिए सही इलाज नस्य कर्म है वसे -रोहेडा ,कचनार ,पुनर्नवा ,शरपुन्खा ,अश्वत्थ[पीपल],तुलसी ,सहिजन ,गिलोय ,बोल ,शिलाजीत आदि ओषधिया अच्छा लाभ करती है